Menu
blogid : 14055 postid : 6

यक़ीनन मेरा न्यू इयर पिछले सालों की तरह ही होगा और आपका

लेखक एक सेवक
लेखक एक सेवक
  • 12 Posts
  • 5 Comments

सबसे पहले तो सभी को नब वर्ष की हार्दिक बधाई
मै आज नए साल में सांस ले रहा हूँ, कल रात जब बिस्तर पर पहुंचा तो सर्दी का पारा और चढ़ गया था और मौसम का और लुडक गया था । मै रजाई ओढे नए साल के बारे में सोच रहा था कि कल सब बदल जाने बाला है । मेरे दिमाग ने मेरे मन को अपनी कीमती राय देना शुरू किया कि  कल से ये छोड़ देना  और अच्छी आदत को शुमार कर लेना जैसे कल सुबह से जल्दी उठने क़ी आदत ,कल से समय से तैयार होने कि आदत बैगाहरा  बैगाहरा। लेटे लेटे  दिमाग में लिस्ट लम्बी होती जा रही थी और पलके बोझल, आखिरकार मैंने आंखे, बिना दिमाग को जबाब दिए ही बंद कर ली क्योंकि उसकी राय अच्छी तो लगी पर अपने पर शक था कि मै और ये सब….
अगली सुबह  मेरा अलार्म मुझे हर पांच मिनट के बाद मुझे उठने की सलाह  सुबह पांच बजे से दे  रहा था पर मैंने तो ठान रखा था कि रोज कि तरह जैसे ही ये बोलेगा तो  मै इसके कान पर एक बजा दूंगा और आखिर मेरे दिमाग ने मुझे याद दिलाया रात की पहली राय का तो तूने अलार्म कि तरह कचूमर बना दिया  अब ऑफिस जाने के लिए नहीं उठा तो पहले दिन का सत्या नाश तय है ।
जब सुबह उठा तो सर्दी के साथ कोहरे ने भी नए साल की दुनिया का स्वागत किया । अखवार उठाया, देखा पहले पेज पर नए साल की शुभकामनायें है और नीचे ही शहर में चोरी, बलात्कार, शराबियों के उधम, के साथ  दो बूढ़े भिखारिओं के स्टेशन किनारे पड़े होने का चित्र और रात की बड़ी “न्यू  इयर” पार्टियों के किस्से से अखवार भरा  था ।
और आखिर मै समझ गया की बस केलेंडर बदल जाने से इन्सान और उसकी आदतें नहीं बदलती।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply